रामानुजनगर वन परिक्षेत्र के जंगलों में माफिया का खेल*

सूरजपुर -* यह कहानी है छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के रामानुजनगर वन परिक्षेत्र की… जहां प्रकृति की गोद में बसे घने जंगल आज दरक रहे हैं। लकड़ी तस्करों की आरी, कुल्हाड़ी और भ्रष्ट तंत्र की चुप्पी ने इन हरे जंगलों को बाजार का माल बना दिया है।”यहाँ की हरियाली अब तस्करों की तिजोरी भरने का साधन बन चुकी है। बीते कुछ महीनों से रामानुजनगर के कई गांवों से सटे वन क्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई हो रही है। लाखों रुपये की इमारती लकड़ी—सागौन,- छुप-छुपाकर बाहर भेजी जा रही है।”सूत्रों की मानें तो यह काम रात के अंधेरे में योजनाबद्ध तरीके से होता है। तस्कर पहले मजदूरों को भेजते हैं, पेड़ काटे जाते हैं, फिर लकड़ी ट्रैक्टर या पीकअप, वाहनों में भरकर पास के बिचौलियों को सौंप दी जाती है। सूत्रों के अनुसार ये लकड़ी फिर ग्राम कैलाशपुर के कुछ बड़े व्यापारियों तक पहुँचती है, और वन विभाग केवल तमाशा देखता है। और रेंजर साहब को तो जैसे कुछ दिखाई ही नहीं देता…””रामानुजनगर के रेंजर साहब का तो कुछ और ही आलम है। जनाब को न तो उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता है, और इन ही घटनाओं की कोई जानकारी है, न ही कोई कार्रवाई करने की मंशा। उन्हें मानो कुंभकरण की तरह गहरी नींद में सुला दिया गया हो,। इस विषय पर कोई गंभीर संज्ञान नहीं लिया गया है।
यही चुप्पी इस अवैध व्यापार को परदे के पीछे संरक्षण दे रही है।
“अगर यही हाल रहा, तो अगले कुछ वर्षों में यह क्षेत्र पेड़विहीन हो जाएगा। यह सिर्फ जंगल की लूट नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की हत्या है।””रामानुजनगर के जंगल मदद मांग रहे हैं, पेड़ चिल्ला रहे हैं, पर वन विभाग सो रहा है। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी – तब तक न तो जंगल बचेगा, न प्रकृति का संतुलन।
बाईट – पंकज कमल वन मंडलाअधिकारी सूरजपुर के द्वारा यह बोला गया कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच करवाकर दोषियों के ऊपर कार्रवाई किया जाएगा,,